बुधवार, 25 सितंबर 2013

मुझे दूसरों की ख़बर कहाँ

क्या मैं बताऊँ मैं कैसा हूँ? बिल्कुल तेरे ही जैसा हूँ॥ तुम गम से घबरा जाते हो । मैं गम में भी हंस देता हूँ॥ तुम दुनिया से कह देते हो। मैं दुनिया की सुन लेता हूँ॥ तुम जिन जिन राहों से गुजरे । मैं उस मोड़ पे रुक लेता हूँ॥ तुम पलकों में ठहर गए और॥ मैं आंखों से बह लेता हूँ॥ तुम जी जी कर मर लेते हो। मैं मर मर कर जी लेता हूँ॥ तुम नाज़ुक इक फूल के जैसे। मैं काँटों सा चुभ लेता हूँ॥ तू रोशन एक चाँद की तरह । मैं पन्नों में रह लेता हूँ॥ क्या मैं बताऊँ मैं कैसा हूँ? बिल्कुल तेरे ही जैसा हू.............

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