बुधवार, 25 सितंबर 2013

थोड़ा आराम हो जाये..

अब ये किस्सा तमाम हो जाये, इसका कोई तो अंजाम हो जाए.. जुड़ जाये मेरा नाम तेरे साथ तो क्या, इसी बहाने मेरा नाम बदनाम हो जाये .. हर इक खता मेरी ही थी ? मेरे खुदा, किसी और के सर भी कुछ इल्जाम हो जाए.. इतना यकीं है की तू जमीं पे आने से रहा, मेरे ही नाम का तेरा कोई पैगाम हो जाए.. बिखरा पड़ा है घर मेरी जिंदगी की तरह , फुरसत मिले तो थोड़ा सा कुछ काम हो जाये.. इसी उम्मीद पे मै जी गया ज़िन्द सारी, बाद मर के ही सही थोड़ा आराम हो जाये..

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