स्मृतियों के पल ......... बिन आहट बिन दस्तक चले आते है ......... विचारों की वेणियों में गूंथकर दे जाते है एक मधुर मुस्कान जो भरती है जीवन में रंग सांसो की मियादें कुछ और बढ़ जाती है बढ़ती उमर की बढ़ती झुर्रियां और दवा की खुराकें कुछ और कम हो जाती है।
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