बुधवार, 25 सितंबर 2013

एक राह बंद है तो

चलो कुछ यूँ भी मोहब्बत निभाया जाये , दिल के ज़ज्बात को चेहरे पे न लाया जाये.. टूट कर गिरते सितारों से दुआ क्या मांगे? किसी तारे को फ़लक पर भी टिकाया जाए.. साहिल पे खड़े होकर लहर गिनने का सबब क्या, मज़ा तो तब हो जब लहरों में समाया जाए .. कौन कहता है कि जालिम है जमाने वाले, कभी खुद को भी ज़माने का बनाया जाए.. एक राह बंद है तो सौ रास्ते खुल जायेंगें, जाना कहाँ है एक कदम तो बढाया जाए.. रात भर जलते रहे अंधेरों में चिरागों कि तरह, हो गयी सहर अब इनको तो बुझाया जाए..

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