बुधवार, 25 सितंबर 2013

टूटे लकडी के पुल जैसे

दिल की बातें तुम कह जाते । हम सुनते और चुप रह जाते॥ यूँ तो पत्थर सा दिखता हूँ । तुम छूते तो हम ढह जाते॥ टूटे लकडी के पुल जैसे। साथ नदी के हम बह जाते॥ मेरे ज़ख्म पे हैरां ना हो। और अगर होता सह जाते॥ सारे राज़ उगल देता मैं। गर तुम दिल की तह तक जाते॥ यूँ तो एक हमारी मंजिल। जाने किस रस्ते वह जाते॥

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