तुम्हारे लिये
बुधवार, 25 सितंबर 2013
चाहत
बस इतना फर्क है मेरी उनकी चाहतों में । वो गम -ऐ -
तूफां
से गिर गए हम अब भी लड़ रहे हैं ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें